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Showing posts from October, 2022

अनुमति

रथ केर पहिया प्राण बैन टुटल अइ नयन प्रतीक्षारत बिछायल जाल खोइल दिय अहा केर भाव मे हम बुन्द बुन्द भिजलौ ओहि भाव बिभोर स मुक्त क दिय हमरा किछ कह लेल अनुमती दिय बस अनुमती दिय किछो देखबाक लेल इजोरिया राइत मे चेहरा चान्द सन हम सजौने रहि मुदा ओहि मे नुकायल अन्हरिया छिपल काजर सन कारी राइत तकरा फेर स अहा लग बखान कर दिय हमरा .... बस अनुमती दिय जिवनक अहि भवर मे रणेवने हम अकेले भटकलौ अहा केर नाम अहा केर शृङ्गार जीवन भैर कोमल हाथ स उठेलौ हम अहि ठोकर मार्ग स अन्जान रहि ओहि बितल मार्ग के उघार कर दिय हमरा... बस अनुमती दिय रचना: प्रतिभा झा

Navratri visarjan

The  10 day  Navratri  festival,  which  includes  a  ritual  of  fervent  prayer  and  strict  fasting  for  Maa  Durga's  blessings,  culminates  with  the  celebration  of  Durga  Visarjan.  The  idol  immersion  of  Maa  Durga  takes  place  on  the  auspicious  day  of  Navami  or  Dashami.  It  gives  a  lovely  and  cathartic  conclusion  to  the  celebration,  which  is  incredibly  rewarding  to  the  soul  when  done  with  zestful  flair  and  vim  and  infused  with  the  traditional  practice  of  a  procession-led  immersion.  The  procession  and  rituals  of  "visarjan"  ar...

भोर

ओह! डेराऊ नै…हम छी…., खोलु जन्जिर के इ केवार । हिम्मत के खन्जर लिय हाथ, कदम मिठास के बढाउ हमरा पास ।। यै….. किताब के पन्ना आबो त पल्टाउ, समुन्दर के गेहराइ मे जुनि उलझाइउ । आहाँ आँगन के चिरै रानी छी, पिन्जरा अखन खुजल अइ …. आबो तs करुणा शोभा बैन बाहर आउ ।। आहा! फुलक डाली सन खिलल क्यारी, संसार के बगान मे उडान भरु । रचनात्मक यै मन्जिल मे, आँहा सिंगार के मुस्कुराइत भोर बनु ।।                        लेखिका,                      प्रतिभा झा