रथ केर पहिया प्राण बैन टुटल अइ नयन प्रतीक्षारत बिछायल जाल खोइल दिय अहा केर भाव मे हम बुन्द बुन्द भिजलौ ओहि भाव बिभोर स मुक्त क दिय हमरा किछ कह लेल अनुमती दिय बस अनुमती दिय किछो देखबाक लेल इजोरिया राइत मे चेहरा चान्द सन हम सजौने रहि मुदा ओहि मे नुकायल अन्हरिया छिपल काजर सन कारी राइत तकरा फेर स अहा लग बखान कर दिय हमरा .... बस अनुमती दिय जिवनक अहि भवर मे रणेवने हम अकेले भटकलौ अहा केर नाम अहा केर शृङ्गार जीवन भैर कोमल हाथ स उठेलौ हम अहि ठोकर मार्ग स अन्जान रहि ओहि बितल मार्ग के उघार कर दिय हमरा... बस अनुमती दिय रचना: प्रतिभा झा
The 10 day Navratri festival, which includes a ritual of fervent prayer and strict fasting for Maa Durga's blessings, culminates with the celebration of Durga Visarjan. The idol immersion of Maa Durga takes place on the auspicious day of Navami or Dashami. It gives a lovely and cathartic conclusion to the celebration, which is incredibly rewarding to the soul when done with zestful flair and vim and infused with the traditional practice of a procession-led immersion. The procession and rituals of "visarjan" ar...