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Showing posts with the label pratibha jha

अनुमति

रथ केर पहिया प्राण बैन टुटल अइ नयन प्रतीक्षारत बिछायल जाल खोइल दिय अहा केर भाव मे हम बुन्द बुन्द भिजलौ ओहि भाव बिभोर स मुक्त क दिय हमरा किछ कह लेल अनुमती दिय बस अनुमती दिय किछो देखबाक लेल इजोरिया राइत मे चेहरा चान्द सन हम सजौने रहि मुदा ओहि मे नुकायल अन्हरिया छिपल काजर सन कारी राइत तकरा फेर स अहा लग बखान कर दिय हमरा .... बस अनुमती दिय जिवनक अहि भवर मे रणेवने हम अकेले भटकलौ अहा केर नाम अहा केर शृङ्गार जीवन भैर कोमल हाथ स उठेलौ हम अहि ठोकर मार्ग स अन्जान रहि ओहि बितल मार्ग के उघार कर दिय हमरा... बस अनुमती दिय रचना: प्रतिभा झा

अनुमति

रथ केर पहिया प्राण बैन टुटल अइ नयन प्रतीक्षारत बिछायल जाल खोइल दिय अहा केर भाव मे हम बुन्द बुन्द भिजलौ ओहि भाव बिभोर स मुक्त क दिय हमरा किछ कह लेल अनुमती दिय बस अनुमती दिय किछो देखबाक लेल इजोरिया राइत मे चेहरा चान्द सन हम सजौने रहि मुदा ओहि मे नुकायल अन्हरिया छिपल काजर सन कारी राइत तकरा फेर स अहा लग बखान कर दिय हमरा .... बस अनुमती दिय जिवनक अहि भवर मे रणेवने हम अकेले भटकलौ अहा केर नाम अहा केर शृङ्गार जीवन भैर कोमल हाथ स उठेलौ हम अहि ठोकर मार्ग स अन्जान रहि ओहि बितल मार्ग के उघार कर दिय हमरा... बस अनुमती दिय रचना: प्रतिभा झा

भोर

ओह! डेराऊ नै…हम छी…., खोलु जन्जिर के इ केवार । हिम्मत के खन्जर लिय हाथ, कदम मिठास के बढाउ हमरा पास ।। यै….. किताब के पन्ना आबो त पल्टाउ, समुन्दर के गेहराइ मे जुनि उलझाइउ । आहाँ आँगन के चिरै रानी छी, पिन्जरा अखन खुजल अइ …. आबो तs करुणा शोभा बैन बाहर आउ ।। आहा! फुलक डाली सन खिलल क्यारी, संसार के बगान मे उडान भरु । रचनात्मक यै मन्जिल मे, आँहा सिंगार के मुस्कुराइत भोर बनु ।।                        लेखिका,                      प्रतिभा झा

मोति निर

हे महादेव.. धुप केर अग्नी मे नैन सं नोर बहे गंगाजल शितल भेटत् कोना अहिं केर दर्शन लेल भोर सं महादेव भुक्हल प्यासल नाम इ मन अहिं केर जपे हे महादेव .... तोडल सब फुल संगही बेलपात मुरझायल आँखी मुनि बैसल छी माहादेव मन बस अहिं केर नाम सं मतायल करी बिन्ती दुनु कर जोडी पुकारी रहल छी मिटाउ प्यास हे माहाकाल हमर आहाँ अपना हाथे  हे महादेव ....... पार्वती छी आहाँ के महादेव हमरा सं लs रहल छी कैले परिक्षा  मानाउ कोना कs आहाँके  जे मन माइर हमरा सं रुसल छी हमरा सं भेल किछ अपराध मांगी रहल छी क्षमा केर भिक्षा हे महादेव ....... नै जानी हम जोग जप कोन बिधि करी पुजा आहाँ के हिर्दय मे पार्वती के दिय स्थान महल के राज नै मन मे दs दिय एक कोना  आहाँ प्रती सच्चा भक्ति आ निष्ठा अछी  कसम सं महादेव मनमे आहाँ लेल नै कोनो कोठ आहाँ के सिवा दोसर के लेल स्थान नै दुजा...                               लेखिका,                              प्र...